हर साल की तरह इस बार भी नव वर्ष पर हम सबने खूब enjoy किआ सभी दोस्तों, रिश्तेदारों को बधाई दी, पार्टी मनाई कुछ एक दोस्तो ने नए संकल्प भी किये जिन्हें शायद एक सप्ताह या एक महीने में सभीभूल जाएंगे और फिर उसी पुरानी दुनिया मे लौटजाएंगे। बेरंग उदासी और निराशा से भरी जिंदगी। हम में से लगभग हर कोई उसी पुराने ढर्रे पर चलनेवाला है जैसा कि ऊपर लिखा है। पर कुछ लोग,लाखों करोड़ों में से कुछ लोग जिंदगी को नए सिरे सेजीना शुरु करेंगे इस साल के खत्म होने पर हम देखेंगेके कुछ लोग ऐसे भी निकल कर आएंगे जिन्होंने सफलता की नई बिसात लिखी है।

हम में से बहोत से लोग उनके बारे में पढ़ेंगे थोड़े वक्त के लिए motivate भी होंगे पर फिर भूल जाएंगे। कभी सोचा है हम उन कुछ लोगों में से एक क्यों नहीं बन पाए, शायद ही कोई सोचेगा। पर मेरे दोस्तों, मेरे भाइयों अभी नहीं तो कभी नहीं।

ये वो चंद लोग होंगे जो पीछे मुड़कर नहीं देखते अपनी गलतियों से सीखते हैं और नई राह, नई दिशा की ओर बढ़ते चले जाते है किसी की नहीं सुनते जिद के पक्के और अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ निश्चयी होते हैं तो चलो मेरे साथ आप भी एक बार उठो एक बार जिद्दी हो जाओ दुसरो की बातें जो हमे निराशा की ओर ले जाती हैं जो हमे कमजोर करती है को सुनना बन्द कर देते हैं। रिश्तेदारों मोहल्ले वालों जान पहचान वालों को जवाब अब हम नहीं हमारी सफलता देगी।

सबसे पहले देखते ऐसे कुछ लोग जिन्होंने पिछले साल तक यानी सन 2019 तक अपनी जिद नहीं छोड़ी और आज हम उनके बारे में पढ़ रहे हैं, और वादा करते है खुद से कि अगले नव वर्ष तक हम कुछ ऐसा करके दिखाएंगे ताकि हमारी जिद पूरी हो सके और अब लोग हमारे बारे में पढेंगे।

  • श्रवण और संजय कुमारन –

महज 17 और 15 साल की आयु के भारत के सबसे युवा उद्यमी (youngest entrepreneurs of India) भाइयों की जोड़ी ने समाज सेवा भावना से प्रेरित होकर वर्ष 2011 में जब वे क्रमशः 14 और 12 वर्ष की आयु में जब बच्चे दादी नानी की कहानियों, कार्टून चैनल देखने मे अपना वक्त बर्बाद करते है, इन दोनों नें GoDonate नाम की app का निर्माण किया जो कि स्थानीय स्तर पर भोजन को दान करने का प्लेटफार्म उलब्ध करती है। इस प्रकार ये दोनों भाई भारत के सबसे युवा मोबाइल android/ios app डेवलपर बनने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं।

संजय कहते हैं, “हमने हमेशा माना है कि हमें समाज समाज के लिए कुछ करना चाहिए,” अपने नवीनतम app GoDonateके पीछे की सोच पर, जो स्थानीय स्तर भोजन को दान करने की सुविधा प्रदान करता है जो भोजनअक्सर बर्बाद हो जाया करता है। श्रवण कहते हैं,”मध्य एशिया में ही, हरसाल लगभग 500 मिलियनटन भोजन बर्बाद हो रहा है।” इन लड़कों के द्वारा,सामाजिक कल्याण की उनकी परियोजनाओं के पीछे एक महत्वपूर्ण कहानी छिपी है। प्रारम्भ में वह, और उनके पिता, जो अपने स्वयं के प्रयासों से शार्क टैंक के रूप में फंडिंग करके, इस छेत्र में काम करते थे। किंतु अंत मे उनके पिताजी ने इस विषय मे सहायता करने से इनकार कर दिया तब इन लड़कों ने स्वयं कुछ करने का निर्णय किआ और आज इनके प्रयास का परिणाम हम GoDonate के रूप में हम सबके सामने है।

उनका मिशन दुनिया के कम से कम आधे डिजिटल फोन पर अपने app इंस्टॉल करना है। इन दोनों ने पहले से ही 11 ऐप विकसित किए हैं, जिनके 60 देशों में लगभग 60,000 डाउनलोड हैं ! 2017 में, उन्हें फोर्ब्स 30 अंडर 30 में सूचीबद्ध किया गया था साथ ही TedxTalk के साथ स्टेज शेयर करने का अवसर प्राप्त कर चुके है इतनी छोटी सी आयु में IIM-B में अपनी प्रेजेंटेशन दे चुके हैं।

  • सृष्टि जयंत देशमुख

तुम लड़की हो तुमसे नहीं होगा, पढ़कर क्या करोगी लड़की हो लड़की की तरह रहो, अपनी हद में रहो। हमारे देश की बहोत सारी लड़कियों ने अक्सर इनमे से कोई न कोई ताना कोई न कोई बात सुनी ही होगी, पर दोस्तो वो जमाना गया जब लड़की कमजोर समझी जाती थी आज कल की लड़कियां अपनी सफलता की नई इबारत लिख रही हैं, उनमे से एक बहोत ही महत्वपूर्ण नाम है सृष्टि जयंत देशमुख का जिन्होंने UPSC Civil Service Exam 2019में लड़कियोंमें प्रथम व देश में5वाँ स्थान हासिल किआ है।

एक बेहद सामान्य परिवार से आने वाली सृष्टि ने अपनी IAS officer बनने की जिद को कभी नही छोड़ा और कोचिंग के अलावा इंटरनेट इत्यादि से भी मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए अपनी मंजिल को हासिल किया। महज 23 साल की उम्र में IAS officer बनने वाली सृस्टि ने अपनी मेहनत प्रतिभा और सफलता हासिल करने की जिद से एना लक्ष्य हासिल करके एक महत्वपूर्ण कीर्तिमान हासिल किआ।

  • रोहित कश्यप-

मात्र 17 वर्ष की आयु के रोहित मैत्री स्कूल ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप के संस्थापक और CEO हैं। उन्होंने बिहार के छोटे शहर से अपनी यात्रा शुरू की, जहां उनके पास समुचित संसाधन नहीं थे, फिर भी उन्होंने ओलंपियाड्स को पास करने में कामयाबी हासिल की और ICAI कॉमर्स विजार्ड में 1000 वें स्थान पर रहे।

रोहित Quora पर एक इन्फ्लुएंसर भी है और लाखों लोग नियमित रूप से उसके जवाब पढ़ते हैं। उन्होंने अपना पहला स्टार्टअप तब शुरू किया जब वह महज 14 वर्ष की आयु के थे आईटी मंत्री रविशंकरप्रसाद सहित कई कैबिनेट मंत्रियों ने उनके काम की प्रशंसा कर चुके हैं।

अपने संस्थान में रोहित कश्यप आपके साथ जुड़ेंगे अपने संस्थान में रोहित कश्यप आपके साथ जुड़ेंगे और आपको कदम कदम पर उद्यमिता के बारे में पूरी बातें सिखाएंगे जिसमे आप Setting, Growing and Scaling Startup आदि सभी प्ररूपों को विस्तार से समझ सकते हैं। जिसमे रोहित स्वयं के द्वारा बनाये गए vedio उपलब्ध कराते है और विभिन्न प्रकार के tasks पूरे करवा कर प्रैक्टिकल knowledge दी जाती है।

  • अरुणिमा सिन्हा

अरुणिमा सिन्हा आज किसी परिचय की मोहताज नही हैं। राष्ट्रीय स्तर की बास्केट बॉल खिलाड़ी रह चुकी अरुणिमा ने एक ट्रेन यात्रा के दौरान आपराधिक प्रवत्ति के लोगों से सामना हुआ जिनका इन्होंने जमकर सामना किया किन्तु ट्रैन से फेंक दिए जाने के कारण अरुणिमा ने अपना एक पैर खो दिया लेकिन अपने हौसले को कभी कम न होने दिया कृतिम पैर लगाकर दोबारा बास्केटबॉल की प्रैक्टिस शुरू की, लेकिन इनको अहसास हुआ कि लोग इनको अब दया की नजर से देखने लगे है तो इन्होंने अब कुछ तूफानी करने का फैसला किया।

भारत की पहली माउंट एवेरेस्ट फतह करने वाली महिला ट्रैकर बछेंद्री पाल से माउंटेन ट्रैकिंग की ट्रेनिंग ली और वर्ष 2013-14 में माउंट एवेरेस्ट पर तिरंगा फहराया। अरुणिमा उसके बाद भी नही रुकी और अब तक वो सातों महाद्वीपों की सभी सर्वोच्च पर्वत शिखरों पर तिरंगा लहरा चुकी हैं।

  • हिमा दास-

अब बात करते हैं वर्ष 2019 की सबसे चर्चित खिलाड़ी की, जी हां हम बात कर रहे हैं गोल्डन गर्ल हिमा दास की। हिमा दास. 19 साल की उम्र. महीने भर में 5 गोल्ड मेडल अपने नाम कर चुकी हैं। यूरोप के अलग-अलग शहरों में हुई अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में. किसी भी ग्लोबल ट्रैक इवेंट में गोल्ड का तमगा झटकने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी। एले इंडिया, फेमिना, वोग जैसी मैगजीनों के कवर पर चमकने वाली लड़की। जहां तक पहुंचने के लिए सुंदरता के मानक तय हैं, हिमा ने उन मानकों को चुनौती दी है। अपनी जगह हासिल की है, अपने हुनर के दम पर।
हिमा दास का घर देश की राजधानी से दो हजार किलोमीटर से अधिक दूर है। असम के नागौन जिले का धींग गांव आज हिमा दास के कारण गुमनामी के अंधेरे से बाहर निकल आया है। हिमा का जन्म 9 जनवरी 2000 को हुआ। 17 लोगों का परिवार है, पूरा परिवार धान की खेती करता है, हिमा ने भी अब तक के जीवन का लंबा हिस्सा खेतों में बुआई और निराई करते बिताया है, रंजीत और जोनाली (हिमा के माता पिता) के 6 बच्चों में सबसे छोटी हिमा की उपलब्धियां बेजोड़ हैं।

हिमा दास का इरादा फुटबॉलर बनने का था, स्कूल में लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं। मैदान में उनकी फुर्ती देखकर एक टीचर ने एथलेटिक्स में करियर बनाने की सलाह दी। हिमा ने अपने गुरु की सलाह मानी। एथलेटिक्स (रेसर बनना) चुना और ठान लिया एक जिद बना ली सबसे तेज होने की जिद। हिमा इस कला की बेताज बादशाह बनना चाहती थी। उन्होंने प्रयास करना नही छोड़ा और आज उनकी ये जिद सारे देश का नाम रोशन कर रही हैं।

देखा आपने, कैसे हम अपनी जिद को अपनी सफलता का साधन बना सकते हैं, तो उठिये और वादा कीजिये खुद से के आज से मैं भी एक जिद पालूंगा और किसी भी हालत में उस जिद को पूरा करूँगा चाहे जो कुछ भी हो जाये चाहे रास्ते मे कितनी भी रुकावटें क्यो न आये मेरी जिद पूरी होनी ही है और उसके लिए मैं भरपूर मेहनत करूँगा। वादा कीजिये खुद से और बदल दीजिये इतिहास को।

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